मंदी में डूबी मेंथा इंडस्ट्री को उबारने के लिए लागत घटाने की तकनीक पर ध्यान देंगे उद्यमी
संभल। प्राकृतिक मेंथा की लागत नहीं घटती है तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सिंथेटिक मेंथा ऑयल और उससे बने उत्पादों मांग बढ़ जाएगी। इससे प्राकृतिक मेंथा का कारोबार करने वाले उद्यमियों को करारा झटका लगेगा। इससे बचने के लिए उद्यमियों ने नई तकनीक से खेती कर मेंथा उत्पादन की लागत घटाने की कवायद की है।
जर्मनी की बीएसएफ कंपनी सिंथेटिक मेंथा तैयार करती है। यह मेंथा ऑयल भारत की प्राकृतिक मेंथा ऑयल को कड़ी टक्कर दे रहा है। दुनिया के 7500 करोड़ रुपये के वार्षिक मेंथा कारोबार में सिंथेटिक मेंथा ऑयल की 2500 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। सिंथेटिक मेंथा ऑयल का बढ़ता प्रभाव आने वाले दिनों में प्राकृतिक मेंथा ऑयल के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। इसको देखते हुए संभल, बदायूं और चंदौसी के उद्यमी सचेत हो गए हैं। बदायूं में कृषि वैज्ञानिकों के साथ हाल में ही उद्यमियों ने संवाद किया। इसके बाद संभल में मंगलवार को उद्यमियों ने आपस में बैठक की है, जिसमें तय किया गया कि किसान की लागत घटाने और उत्पादन को बढ़ाने के लिए सही तकनीक के इस्तेमाल पर काम किया जाए। कृषि वैज्ञानिकों से किसानों का संवाद कराया जाए। संभल से मेंथा उत्पादों के निर्यातक आशुतोष रस्तोगी ने मेंथा की सिमक्रांति प्रजाति को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों से इस संबंध में बातचीत की है, जिसमें पता लगा कि आमतौर पर किसान बताई गई पूरी जानकारी का इस्तेमाल नहीं करते हैं और इसके चलते उत्पादन प्रभावित होता है। आशुतोष रस्तोगी ने बताया कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके किसानों से लगातार वैज्ञानिकों का संवाद मेंथा उद्यमी कराएंगे ताकि प्राकृतिक मेंथा उत्पादन की लागत घट सके। साथ ही किसानों की फसल सिंचाईं लागत को घटाने के लिए ड्रिप पद्धति के प्रयोग पर जोर दिया जाएगा।