विश्व प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी माँ चामुण्डा का इतिहास
- 151050061 - INDAR PARMAR
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दर्शको उज्जैन को एक तीर्थ स्थली के रूप में जाना जाता है, ऐसा माना जाता है की उजैन में ही 33 करोड़ देवी देवता विराजमान है| हम बात कर रहे है उज्जैन के चामुंडा माता मंदीर की तो आइये आज हम आपको ले चलते है, इसी प्राचीन मंदिर में जो मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर बड़नगर तहसील के गाँव मे एक प्राचीन मन्दिर माँ महिषासुर मर्दिनी माँ चामुण्डा माता का अतिप्राचिन मन्दिर स्थित है| यहाँ पर काफी दूर दूर से दर्शन करने के लिऐ हजारो की तादाद मे बड़ी संख्या मे श्रद्धालु नौ दिन तक आते है व अपनी मांगी मन्नते पूरी करते है, तो चलिए ले चलते है आपको माता के दिव्य दर्शन को---
महिसासुर मर्दिनी नाम संहार से जुड़ा जरुर है, लेकिन यह मन को आनन्द, सकारात्मकता और शांति प्रदान करता है| और यदि संहार कल्याण से जुड़ा है तो वो शांति,आनन्द और सकारात्मकता की सुरक्षा के लिए है| मंदीर के पुजारी के अनुसार सूर्य की पहली किरण माँ के चरणों को स्पर्श करती है वही माँ की प्रतिमा दिन में तीन रूप बदलती है| आइये सुनते है क्या कहते है मंदीर के पुजारी------
चलिए जानते है यहा की विशेषता के बारे में यहा के सरपंच से---------------
इस मन्दिर का इतिहास 2000वर्ष पुराना है| इसका उल्लेख कई ग्रंथो व पुराणों मे मिलता है तथा यहाँ पर मोहम्मद गजनी ने आक्रमण भी किया और मन्दिर के ऊपर का शिखर तोड़ दिया और उसे लूटने की कोशिश की गई लेकिन माँ के चमत्कार के आगे उसकी नही चली व सेना लेकर वह वहा से निकल गया| आज भी इस गाँव को गजनी खेड़ी के नाम से जाना जाता है| मन्दिर मे नौ दिन तक माता के नाम से भंडारा चलाया जाता है तथा देश प्रदेश से लोग यहाँ दर्शन के लिऐ आते है|