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योगी तेरे राज में मुर्दे भी नहीं सुरक्षित
  • 151050525 - RAJESH KUMAR SINGH 0



जमीनी विवाद: मूर्दो पर चला जेसीबी, 35 कब्रिस्तान को कंकाल सहित निकालकर फेंका। पीड़ितों ने नगर मजिस्ट्रेट से लगाई गुहार। जफराबाद के नासही मोहल्ले में जमाने से चले रहे माली बिरादरी के कब्रिस्तान का अस्तित्व हुआ समाप्त। अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला, सभी ने कहा संज्ञान में नहीं है मामला। न जाने किसके आदेश पर हो गया इतना बड़ा फैसला जफराबाद (जौनपुर) जमीनी विवाद का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया की "मुर्दे भी खतरे में पड़ गए" जमीनी विवाद के चक्कर मे मरने वालों को दो गज जमीन भी नसीब में नहीं हो पाई। उनका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया। जमाने से कब्रिस्तान के नाम पर मुर्दे दफनाए जा रहे थे, कुछ जिम्मेदारों की हेराफेरी से वर्षों से चले आ रहे मालियों के कब्रिस्तान का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। वर्षों से दफनाए गए लगभग 35 मुर्दों को मिट्टी सहित जेसीबी से निकाल कर फेंक दिया गया। इतना बड़ा फैसला किसके आदेश पर, किस की मौजूदगी में, किन परिस्थितियों में लिया गया, कोई बताने को तैयार नहीं है। सभी मामले में अनभिज्ञता जताते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं। मामले में शनिवार को पीड़ितों ने नगर मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र देकर न्याय के लिए गुहार लगाया है। उक्त मोहल्ले में कई घर माली बिरादरी के है। जमाने से फूल की खेती व कारोबार करते चले आ रहे हैं। इनके यहां मरने वाले लोगों को, मोहल्ले के ही स्थित जमीन में दफनाया जाता था। माली अनीश कुमार ने बताया, उनकी उम्र लगभग 60 साल है। जब से होश संभाला तब से विरादरी के लोगों को यहीं दफनाया जाता था। जानकारी में अब तक लगभग 35 लोगों को उक्त जमीन में दफनाया जा चुका है। अनीश का एक जवान पुत्र मोहम्मद जर्रार उर्फ गुड्डू जो भारतीय जनता पार्टी के दीवाने कार्यकर्ता के नाम से जाना जाता था तथा पुत्री, बीते कुछ वर्षों में मौत के बाद यहीं दफनाये गए थे। एक माह पूर्व कागजी तौर पर मामले में ऐसी गणित हुई कि मुर्दे खतरे में पड़ गए। एक वर्ष पूर्व उक्त मुर्दों वाली जमीन व बगल की कुछ जमीन को बनारस के एक व्यक्ति ने बैनामा लिया। बैनामेदार ने हड़ावर पर कब्जा लेने का प्रयास किया। कब्जा का विरोध होने पर उसने पुलिस तथा राजस्व विभाग का शरण लिया। जमीन की पैमाइश के बाद चिन्हांकन किया गया। पीड़ितों ने बताया कि पिछले महीने जफराबाद में समाधान दिवस पर दोनों पक्षों को बुलाया गया था। अनीश कुमार तथा अन्य पीड़ितों ने बताया कि एक सादे कागज पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करा कर जफराबाद पुलिस ने मालियों को, कब्जा में दखल अंदाजी न करने की हिदायत दी। इसके बाद मौके पर बिना किसी प्रशासनिक अधिकारी तथा पुलिस बल की मौजूदगी में कब्जा लेने वालों ने जेसीबी लगाकर मनमाने ढंग से कब्रिस्तान का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया। 35 मुर्दों के कंकाल को मिट्टी सहित उठाकर दूसरे जगहों पर फेंक दिया गया। कब्रिस्तान की पैरवी कर रहे अनीश कुमार ने बताया कि मामले में न्याय पाने के लिए पहले से ही दीवानी न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। अनीश कुमार ने कहा कि पुलिस विभाग के कुछ लोगों की मिलीभगत से अन्याय किया है। बोले लेखपाल। पूछे जाने पर कार्रवाई में सम्मिलित पूर्व लेखपाल इन्द्रराज ने बताया कि कब्रिस्तान की लड़ाई लड़ रहे लोगों के पुराने कागजात के अनुसार हड़ावर की जमीन मौके स्थल से पश्चिम तरफ "नवीन परती" के नाम से दर्ज है। जिस जगह माली लोग वर्षों से लाश दफनाते चले आ रहे थे वह वर्तमान रिकार्ड में हड़ावर नहीं है। लेखपाल ने कहा कि जिस जमीन पर कब्जा दिया गया है, वहां थोड़ी गलतियां हुई है। उन्होंने बताया कि पूर्व में मेरी तैनाती के समय मैंने जो नाप कर चिन्हाकन किया था उससे अधिक कब्जा किया गया है। इस प्रकार बिना प्रशासन की मौजूदगी में कब्जा करने वालों ने जेसीबी लगाकर मनमाने ढंग से कब्जा किया है। बोले थानाध्यक्ष। थानाध्यक्ष मधुप कुमार सिंह ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि पीड़ित प्रार्थना पत्र दे तो छानबीन कर कार्रवाई की जाएगी। समाधान दिवस पर मामले में क्या कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राजस्व का मामला है, क्या निर्णय लिया गया था राजस्व के अधिकारी ही बता सकते हैं। बोले क्षेत्राधिकारी। कब्जा के समय कब्रिस्तान की जमीन पर जेसीबी चलाते समय कोई प्रशासनिक अधिकारी या पुलिस बल मौके पर मौजूद था कि नहीं इस सवाल के जवाब में क्षेत्राधिकारी सुशील कुमार सिंह ने कहा कि कोई ना कोई जरूर रहा होगा। मामले की जांच कर करवाई की जाएगी। बोले नायब तहसीलदार। समाधान दिवस में मौजूद नायब तहसीलदार मांधाता प्रताप से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं आया था। उन्होंने अपने लेखपाल से तफ्तीश कर बताया कि उक्त मामले में अस्थाई रूप से नाप की गई थी। कब्रिस्तान को हटाने का कोई आदेश नहीं दिया गया था। बोले तहसीलदार। मामले में तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है। मामले में लेखपाल से रिपोर्ट मांग कर जांच किया जाएगा कि कैसे कब्र हटाई गई। बोले सिटी मजिस्ट्रेट। समाधान दिवस पर मौजूद सिटी मजिस्ट्रेट सुरेंद्र नाथ से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में इस तरह का कोई मामला नहीं है। अगर ऐसा है तो पुलिस जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारी के नाम पर पुलिस की लाटरी खुल जाती है। पुलिस पर आरोप थोप कर पल्ला झाड़ लिये। शनिवार को प्रार्थना पत्र मिलने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच के लिए क्षेत्र के राजस्व अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया फिर कौन है जिम्मेदार। इतना गंभीर व संवेदनशील मामला, कब्जा के नाम पर जमाने से चले आए कब्रिस्तान का नामोनिशान मिटा दिया गया। 35 कब्र से कंकाल सहित मुर्दों को निकाल कर फेंक दिया गया और इस मामले की जानकारी किसी भी अधिकारी को नहीं है,कितनी अजीब बात है। सवाल यह उठता है कि मुर्दों का अस्तित्व कैसे वापस आएगा ? कौन-कौन जिम्मेदार हैं ? किसके इशारे पर इतना बड़ा निर्णय लिया गया ? माली बिरादरी के लोग अब लाशों को कहां दफन करेंगे ? इतनी बड़ी घटना हो गई, मामला प्रशासन के संज्ञान में ही नहीं। मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध। जफराबाद पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही बद्री मौर्य ने बताया कि मामले में पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा था। पिछले अगस्त महीने में समाधान दिवस पर दोनों पक्षों को जफराबाद थाने पर बुलाया गया था। थाना अध्यक्ष व क्षेत्राधिकारी की मौजूदगी में दोनों पक्षों से सुलह समझौता कराया गया था। बद्री ने बताया कि मामले में पक्की नाप की गई थी। नाप के बाद पत्थर गड्डी भी कराई गई थी। उधर राजस्व अधिकारी कह रहे हैं कि कोई पक्की नाप नहीं हुई थी। मालियों की पैरवी में जफराबाद नगर पंचायत अध्यक्ष भी थाने पर मौजूद थे। माली अनीश कुमार ने कहा कि पुलिस ने सबकुछ जोर-जबर्दस्ती के साथ कराया है। मामले में तमाम लोगों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। यदि मामले की जांच कराई जाए तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।

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