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त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानंद
  • 151165292 - RAJPAL SINGH LODHI 0



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया यूपी ललितपुर। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित हमीरपुर जनपद के ग्राम बारहरा में 4 दिसम्बर 1894 को एक साधारण किसान परिवार में स्वामी ब्रह्मानंद जी का जन्म हुआ था, इनके पिता का नाम मातादीन लोधी एवं माता का नाम यशोदाबाई था, इनका विवाह 9 बर्ष की आयु में अमूंद की राधाबाई से हुआ था। इनके एक पुत्र एवं एक पुत्री थीं। यह एक ऐसे सन्त थें जिन्होंने संन्यास ग्रहण करनें के बाद पैसे को हाथ से नहीं छुआ तथा न ही कोई निजी सम्पत्ति बनायीं। स्वामी ब्रह्मानंद जी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भी बढचढ कर भाग लिया, सन् 1921में भाटिडा में महात्मा गांधी जी से मुलाकात हुई तथा 1928 में बिदेशी बस्त्रों की होली एवं 1930 में‌ नमक आन्दोलन में गिरफ्तारी दीं। स्वामी ब्रह्मानंद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी स्वतंत्रता संग्राम के रहें तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ साथ रियाश्तों के मुक्ति आन्दोलन में भी बढचढ कर हिस्सा तथा सहयोग किया।
हमीरपुर स्थित राठ तहसील में नगर में स्वामी ब्रह्मानंद इण्टर कालेज, ब्रह्मनंद संस्कृत‌ महाविद्यालय एवं ब्रह्मानंद महाविद्यालय की स्थापना की। लोग बताते हैं कि स्वामी ब्रह्मानंद महाविद्यालय की संस्था के पास करीब चार हजार एकड भूमि हैं तथा भारत देश में स्थित कृषि संकाय के प्रमुख महाविद्यालयों में से एक है तथा महा विद्यालय में भारत सहित विदेशों से छात्र अध्ययन के लिए आतें हैं। स्वामी ब्रह्मानंद जी एक ऐसे सन्त थें जिन्होंने सर्ब समाज तथा मानव समाज के सहयोग से एक बड़े संस्थान की स्थापना की...क्षेत्र के लोग एवं इतिहासकार बताते हैं कि 1966 में गौवध कानून बनाने में भी स्वामी ब्रह्मानंद जी का बहुत सहयोग हैं। एवं 1967 में किसी गेरूआ वस्त्र धारण करने वाले पहलें संत के रुप में स्वामी ब्रह्मानंद ने सदस्यता लेकर पहलें लोधी समाज के जनप्रतिनिधि के रूप में भी शपथ ली। स्वामी ब्रह्मानंद जी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी तथा राष्ट्र पिता वीसी गिरि के प्रमुख सहयोगी रहें तथा पूरे जीवन पर्यन्त समाज सुधार दलित, शोशित वंचित के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयासरत रहे स्वामी जी की मानवता विचारधारा होनें के कारण इन्हें बुन्देलखण्ड के मालवीय के नाम से भी जाना जाता है। स्वामी ब्रह्मानंद ने अपनें अन्तिम समय में एक वसीयत लिखी जिसका कुछ भाग यहां उल्लेख कर रहा हूं।
मेरे नाम की सम्पत्ति जनता जनार्दन की हैं इस पर किसी व्यक्ति बिशेष का अधिकार नहीं होगा-आगें लिखा मेरा मत है कि मैंने विधिवत् किसी से गुरूमत्रं नहीं लिया हालांकि मेरे ऊपर कई ऋषि, मुनियों की छाप पड़ी, तथा मैंने उनकी बातें मानीं। किन्तु मैंने अपने कपड़े स्वयं रंगें एवं नाम भी स्वयं रखा। मैंने किसी भी साधु को अपना शिष्य नहीं बनाया जो अपनें को हमारा शिष्य कहनें लगें। मेरे पास कोई सम्पत्ति नहीं हैं एवं जो हैं वह सब जनता जनार्दन के सहयोग से प्राप्त हुई हैं, इसलिए इस प्रकार की सम्पत्ति मेरी नहीं हो सकती "तथा पूरी सम्पत्ति स्वामी ब्रह्मानंद महाविद्यालय के नाम लिख दीं एवं एक अन्य उल्लेख भी मिलता है कि उन्होंने कहा मेरी इसी छोड़ी गयीं सम्पत्ति में मेरा एवं मेरे परिवार तथा रिश्तेदार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। आज स्वामी ब्रह्मानंद का 197वें जन्मोत्सव के अबसर पर राठ हमीरपुर सहित समूचे बुन्देलखण्ड के जनपदों में स्वामी ब्रह्मानंद की जयंती बडी धूमधाम से मनाई जा रही हैं एवं मेरी पूरी टीम हर बर्ष की भांति इस बर्ष भी राठ हैं तथा जन्मदिन के एक दिन पूर्व उनके गांव बारहरा से राठ महाविद्यालय तक करीब 50 किलोमीटर की वाहन रैली, तथा कुछ लोग पैदल यात्रा भी समाधि तक निकाली।

भारत सरकार ने इनके सम्मान सन् 1997 में डाक टिकट जारी किया, प्रतिबर्ष जन्मदिवस एवं निर्वाण दिवस पर महाविद्यालय सहित समूचे बुन्देलखण्ड पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। स्वामी जी अनुयायियों द्वारा पिछले साल से किसी बिशेष क्षेत्र में कार्य करनें बालें लोगों को स्वामी ब्रह्मानंद राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से सम्मानित किया जा रहा हैं। स्वामी जी के नाम पर आज पूरे बुन्देलखण्ड में अनेक शिक्षा संस्थान, महाविद्यालय, इण्टर कॉलेज, तथा प्राथमिक एवं जूनियर विधालय संचालित हैं। स्वामी ब्रह्मानंद महाविद्यालय में पड़ने वाले छात्र आज देश तथा विदेश में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्वामी ब्रह्मानंद महाराज जी के मिशन तथा अधूरे छोड़े गए कार्यों को लक्ष्य संस्था एवं स्वामी ब्रह्मानंद बिग्रेड पूरा करनें में प्रयासरत हैं एवं मिशन को आगें बढा रहे हैं। लेखक एवं संग्रहकर्ता एडवोकेट मुकेश कुमार लोधी करमरा ललितपुर पूर्व जिलाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मानंद बिग्रेड, संरक्षक स्वामी ब्रह्मानंद बिग्रेड ललितपुर उ.प्र। राजपाल सिंह आरआई गिरार 151165292


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