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हजरत इब्राहिम की सुन्नत है बकरीद।
  • 151019049 - VISHAL RAWAT 0



फास्ट न्यूज इंडिया विशाल रावत ब्यूरो रिपोर्ट प्रतापगढ़।दुर्गागंज (मोहम्मद सलमान)।रानीगंज क्षेत्र के अंतर्गत मुआर अधारगंज में ईद-उल-अजहा (बकरीद) शनिवार को लॉकडाउन के दौरान कानून व्यवस्था व शोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोग घर पर ही बकरीद की नमाज अदा की। बकरीद की नमाज अदा करने के बाद जानवरों की कुर्बानी की गई।वही कुर्बानी का सिलसिला तीन दिनों तक चलेगा।काजी मौलाना तफज्जुल हुसैन ने लोगों से मिलजुलकर भाईचारे के साथ बकरीद मनाने की अपील की। वहीं, कुर्बानी के इस अवसर पर बुराइयों से तौबा करने को कहा और बताया कि बकरीद का त्योहार मुसलमान हजरत इब्राहिम की सुन्नत अदा करने के लिए जानवरों की कुर्बानी देकर मनाते हैं। फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन है ईद उल अजहा। इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा का विशेष महत्व है। इस्लामिक बातों के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान किया था। तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था। ईद उल फितर के करीब 70 दिनों के बाद यह त्योहार मनाया जाता है। मीठी ईद के बाद यह इस्लाम धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन है। इस त्योहार पर गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इन तीन हिस्सों में खुद के लिए एक हिस्सा रखा जाता है, एक हिस्सा पड़ोसियों और रिश्तेदारों को बांटा जाता है और एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है।इसके जरिए पैगाम दिया जाता है कि अपने दिल की करीब चीज भी दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर दी जाती है। इस त्योहार को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इसके बाद अल्लाह के हुक्म के साथ इंसानों की जगह जानवरों की कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू किया गया। मौक़े पर मोहम्मद गुलाम, आरिफ शाह,मो०अनवर,आविद अली,फिरोज अली,आशिक़ अली,अयान अहमद,शमशाद अली सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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