मजबूर पिता की मदद के लिए बैलों की जगह बेटियां खींच
- 151043902 - ABHISHEK MISHRA
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मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में दो बेटियों तथा एक मजबूर किसान पिता की ऐसी तस्वीर सामने आई है जो दिल को झकझोर देने वाली है। जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम मथुराखेड़ी में दो बेटियों ने घर चलाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी। हम बात कर रहे है इस गांव के किसान कुमेर सिंह तथा इनकी बेटियां जमना तथा मधु की।
कुमेर सिंह के पास अपने गांव में 2 बीघा कृषि भूमि है इतनी भूमि पर होने वाली फसल से केवल कुमेर सिंह के घर दो समय का खाना बन सकता है न कि उसकी व उसकी बेटियों की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। ऐसे में पिता का खर्चा कम करने व काम मे हाथ बंटाने के लिए कुमेर सिंह की दोनों बेटियों ने पढ़ाई छोड़ दी और खेतों में पिता का हाथ बंटाने लग गईँ। परेशानी यहीं खत्म नहीं हुईं खेतों में फसल बुआई के बाद खरपतवार को नष्ट करने के लिए जब डोर चलाने वाले बैल खरीदने के लिए रुपए नहीं मिले तो कुमेर सिंह की दोनो बेटियां बैल बन गईं। मजबूर किसान की यह स्थिति देख गांव वालों की आंखें भी नम हो जाती हैं।
तीन महीने पहले घर टूटा तो ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर बनवाया
तीन महीने पूर्व आंधी-तूफान के चलते कुमेर सिंह का घर ढह गया था। नया घर बनाने के लिए उसके पास फूटी कौड़ी तक नहीं थी। बिना छत के घर मे दो बेटियों व पत्नी के साथ रहना काफी मुश्किल हो गया था। कुमेर सिंह ने पंचायत से मदद भी मांगी। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए जिम्मेदारों के चक्कर काटे लेकिन कहीं से सहयोग नहीं मिला। ऐसे में गांव के ही लोगों ने कुमेर सिंह की मदद करने की ठानी। गांव के सभी लोगों ने मिलकर चंदा एकत्रित किया और कुमेर सिंह के टूटे हुवे मकान का काम आरम्भ करवाया। वर्तमान में कुमेर सिंह के मकान का काम चल रहा है।