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जिले में कागजी विकास लिख रहा स्याह कहानी
  • 151045302 - VIJAYA KUMAR 0



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया संवाददाता, मऊ : जनपद के उच्चाधिकारी आए दिन विकास गाथाओं का दावा करते हैं। कोरोना संक्रमण काल में जब गरीबों को प्रशासन की सबसे अधिक आवश्यकता थी, उस समय प्रशासन कागजी घोड़े दौड़ाने में मस्त रहा। धरातल पर न तो योजनाएं उतरीं और न ही विपरीत काल में गरीबों को रोजगार मिला। जब जागरण ने मनरेगा का धरातलीय सच दिखाना शुरू किया तो प्रशासन ने मौन साध लिया। प्रशासन के मौन होने पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री के आदेश पर राज्यमंत्री ग्राम्य विकास आनंद स्वरूप शुक्ल ने रतनपुरा ब्लाक के देवदह व पीपरसाथ गांव का विकास खुद अपनी आंखें देखा, तो उनके होश उड़ गए। आलम यह है कि एक माह अंदर धड़ाधड़ तीन खंड विकास अधिकारी निलंबित हो गए। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत धड़ाधड़ 32 करोड़ रुपये प्राइवेट फर्मों के खाते में भुगतान कर लिए गए। जबकि कोरोना काल में इस धन की सबसे अधिक आवश्यकता प्रवासी श्रमिकों व जॉब कार्डधारकों को थी। ऐसे विपरीत काल में जिला प्रशासन ने प्राइवेट फर्मों पर रहमत बरसाई। हकीकत यह रही कि भुगतान की गई बड़ी धनराशि का अधिकतर हिस्सा एडवांस पेमेंट यानि धरातल पर बिना काम कराए ही पहले उतार लिया गया। जब इसकी सच्चाई दैनिक जागरण ने उजागर की तो राज्यमंत्री ग्राम्य विकास ने 08 जून को रतनपुरा का निरीक्षण किया। मंत्री के निरीक्षण में स्टाक पेमेंट कराया जाना सच साबित हुआ। इस पर तत्कालीन बीडीओ रमेश यादव सहित लेखाकार, सचिव को निलंबित कर दिया गया तो वहीं संविदाकर्मी एपीओ मनरेगा, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक को बर्खास्त कर दिया गया। शासन का सख्त रवैया देख 10 जून को जिलाधिकारी भी निकले और रानीपुर ब्लाक के कमरवां गांव का निरीक्षण किया। यहां अनियमितता पाए जाने पर तत्कालीन बीडीओ, ग्राम सचिव, लेखाकार को निलंबित कर दिया गया तो एपीओ, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक को बर्खास्त किया गया। इसी तरह कोपागंज ब्लाक के बीडीओ रहे कुलदीप पटेल को भी शासन ने लापरवाही में निलंबित किया गया। ग्रामीण विकास में पिछड़े जनपद में शासन को कार्रवाई करनी पड़ रही है, जबकि यहां के उच्चाधिकारी मौन साधे शासन की कार्रवाई के तमाशबीन बने हैं। अभी तक शुरू नहीं हुई गांवों की जांच 08 जून को मनरेगा की जांच करने पहुंचे राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल को रतनपुरा के देवदह व पीपरसाथ में बड़ी अनियमितता मिली थी। इससे राज्यमंत्री ने प्रशासन की बड़ी लापरवाही माना था। राज्यमंत्री ने प्रशासन को बड़े निर्देश दिए थे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में एकमुश्त 32 करोड़ की धनराशि का भुगतान करने पर उन्होंने बड़ा एतराज जताया था। इस दौरान उन्होंने वित्तीय वर्ष 2019-20 व वर्तमान वित्तीय वर्ष में किए गए भुगतान व कराए गए कार्यों की जांच कराने के प्रशासन को निर्देश दिए थे। राज्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के 20 दिन बाद भी कोई प्रशासनिक हलचल तक नहीं शुरू हुई। ऐसे में प्रशासन पर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। टॉप-टू-बॉटम फैला है जाल गरीबों को रोजगार व गांवों में कच्चे-पक्के कामों के लिए केंद्र सरकार ने 60:40 का रेशियो तय किया है। जो ग्राम पंचायतें अधिक से अधिक 60 फीसदी में कच्चे काम कराएंगी उन्हें 40 फीसदी पक्के कामों की स्वीकृति दी जाती है परंतु यहां केंद्र सरकार के मानक को ताक पर रख जिला प्रशासन अपने नियम तय करता है। बिना काम कराए धड़ल्ले से स्टाक पेमेंट करा लिए गए तो बिना 60:40 का रेशियो तय किए दर्जनों ग्राम पंचायतों को मैटेरियल मद में लाखों रुपये के काम कराने की अग्रिम स्वीकृति दे दी गई। इस स्याह कहानी के पीछे गांव से लेकर जिला स्तर तक पूरा संजाल फैला है, जो हर वर्ष कारस्तानी को अंजाम देता हैं।

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