EPaper SignIn
तिरुवनंतपुरम - अगर कांग्रेस कुछ नहीं तो पीएम मोदी डरते क्यों हैं.... दूसरे चरण के चुनाव से पहले खरगे ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा     नई दिल्ली - Umang APP से चंद मिनटों में निकाल पाएंगे PF का पैसा     नई दिल्ली - आज घोषित होंगे एमपी बोर्ड हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री के नतीजे, MPBSE अध्यक्ष करेंगे घोषणा     नई दिल्‍ली - हम अपनी कमजोरी नहीं, इस कारण हारे, Ruturaj Gaikwad ने शिकस्‍त के लिए ठहराया दोषी     आगरा - ब्रज में लापता ‘जातियों का गुरूर’ कहीं विकास के सुबूत से आस तो कहीं चेहरा पैरोकार     नई दिल्ली - RBI ने महाराष्‍ट्र के इस बैंक पर लगा दीं कई पाबंदियां, खातों से एक रुपया भी नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक    

शयन एकादशी की कथा
  • 151109233 - HEMANT CHOUDHARY 0



शयन एकादशी की कथा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी, विष्णु शयनी एकादशी या देवशयनी एकादशी अथवा शयनी एकादशी---इन नामों से जाना जाता है भविष्योतर पुराण में इस एकादशी का महात्म्य, महाराज युधिष्ठिर व श्रीकृष्ण संवाद और नारद जी व ब्रह्मा जी के संवाद के रूप में वर्णित हुआ है | धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- हे केशव! आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूं। ब्रह्मा जी ने उस प्रश्न के जवाब में नारद जी को एक आश्चर्यजनक घटना सुनाई थी , तुम भी उसे सुनो | ब्रह्मा जी बोले-- इस संसार में एकादशी के समान कोई अन्य पुण्य कर्म नहीं है , समस्त पापों का नाश करने के लिए विष्णु व्रत-एकादशी, अवश्य ही करनी चाहिए | जो मानव एकादशी व्रत नहीं करते, उन्हें अवश्य ही नर्क में जाना पड़ता है | आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम देवशयनी अथवा पद्मा है | भगवान हृषिकेश की प्रसन्नता के लिए इस व्रत को जरूर करना चाहिए| पुराण में वर्णन आता है कि सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था। वह अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन किया करता था। उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था। एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया। प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दुखी हो गई। अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए। एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी-- हे राजन!आपकी प्रजा बड़ी परेशान हैं आप कृपा करके अपनी प्रजा के हितकारी वचन सुनिए, हे राजन ! शास्त्रों में जल को नार कहा गया है और जल में भगवान का अयन है अर्थात निवास है इसलिए भगवान का एक नाम नारायण भी है, मेघ रूपी भगवान नारायण सर्वव्यापी हैं ,भगवान नारायण ही वर्षा करते हैं ,जल वर्षा होने से अन्न की उत्पत्ति होती है तथा अन्न द्वारा प्रजाजनों का पालन पोषण होता है , आपके राज्य में वर्षा न होने से अन्न का अकाल पड़ गया है और इससे आपकी प्रजा भूख से मरी जा रही है | हे राजन ! ऐसा कोई उपाय अपनाएं जिससे प्रजा का पालन सुचारू रूप से हो तथा राज्य में शांति स्थापित हो | राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दुखी हो गए हैं। मैं आप लोगों के दुखों को समझता हूं। जबकि मैं स्वयं यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा कि मेरा ऐसा कौन सा पाप है जिससे ऐसा हो रहा है फिर भी मैं अपनी प्रजा के कल्याण हेतु पूर्ण रुप से प्रयत्न करूंगा | ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया। वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वहां राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया।  मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा। राजा ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दुखी है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है। जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूं तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका। अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूं। कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए। इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है। इसमें धर्म के चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है। लोग भगवान की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है। ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो। इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूं। आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी ,क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है। इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो। मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुंचा। अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए। यह व्रत इस लोक में सुख और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इसलिए सभी को इस एकादशी का व्रत करना चाहिए, इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप मिट जाते हैं | भगवान के उच्च कोटि के भक्त लोग भगवान श्रीहरि की प्रसन्नता के लिए बड़ी श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत का पालन करते ही रहते हैं तथा व्रत करने के बदले में भगवान से सांसारिक- सुख, स्वर्ग-सुख ,योगसिद्धि तथा मोक्ष आदि की अभिलाषा को छोड़कर केवल हरीभक्ति व हरि सेवा को ही मांगते हैं | हरे कृष्ण ! देवकीनंदन दास (गौड़ीय वैष्णव दासानुदास)|

Subscriber

173828

No. of Visitors

FastMail

तिरुवनंतपुरम - अगर कांग्रेस कुछ नहीं तो पीएम मोदी डरते क्यों हैं.... दूसरे चरण के चुनाव से पहले खरगे ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा     नई दिल्ली - Umang APP से चंद मिनटों में निकाल पाएंगे PF का पैसा     नई दिल्ली - आज घोषित होंगे एमपी बोर्ड हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री के नतीजे, MPBSE अध्यक्ष करेंगे घोषणा     नई दिल्‍ली - हम अपनी कमजोरी नहीं, इस कारण हारे, Ruturaj Gaikwad ने शिकस्‍त के लिए ठहराया दोषी     आगरा - ब्रज में लापता ‘जातियों का गुरूर’ कहीं विकास के सुबूत से आस तो कहीं चेहरा पैरोकार     नई दिल्ली - RBI ने महाराष्‍ट्र के इस बैंक पर लगा दीं कई पाबंदियां, खातों से एक रुपया भी नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक