सेक्स_एजुकेशन
- 151109233 - HEMANT CHOUDHARY
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#सेक्स_एजुकेशन
सेक्स एक ऐसा मुद्धा है,जिस पर खुल कर बात करने को समाज के एक तबका आज भी बेशर्मी कहता है,....
चलो मान लेते हैं कि ये शर्मिलों का देश है,,, यहां सेक्स जैसे टॉपिक पर खुल कर बात करना सभ्यता के खिलाफ है,सेक्स पर बात करना पाश्चात्य नंगापन है,,हमारा समाज ये नंगापन स्वीकार नहीं करता,,,,
परन्तु फिर भी क्यूं गूगल पर पोर्न साइट सर्च करने में भारत आज पूरी दुनियां में तीसरे पायदान पर है ? मतलब पोर्न प्रैक्टिकल शिक्षा हासिल करने में भारत तेज़ी से विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।
जबकि हमही वो लोग है जो खुजराहों जैसी धरोहर को नग्नता का प्रतीक मानते हैं,,,,माफ करिए पर यदि हमने दर्शन ओर काम को एकसाथ समझाने वाले खजुराहों की प्रांसगिकता को समय पर पहचान लिया होता तो आज हमारे देश का अंगूठा छाप इंसान भी गूगल पर पोर्न शिक्षा में पीएचडी न कर रहा होता ।
परन्तु आज भी हम नैतिक शिक्षा के अन्तर्गत काम और दर्शन की शिक्षा को स्थान देने को तैयार नहीं है,,,उसका ये परिणाम है कि पोर्न साइट बच्चों को जानवर बना रहा है,वो उसमें हुबहू उसमें दिखाए गए सारे क्रियाकलापों को करना चाहता है,ऐसी क्रूरता विवाह विच्छेद का भी कारण बन जाता है।अखबार में आनेवाली ज्यादातर घटनाओं में से बलात्कार अब सिर्फ लैंगिक संसर्ग तक ही सीमित नहीं रहा,बल्कि बलात्कार अब कांच की बोतल से आंत तक फ़ाड़ देने की ओर बढ़ गया ।
हम सच से भागना चाहते हैं,हम भोजन और पानी की तरह सेक्स को जीवन की मूलभूत आवश्यकता मानने को तैयार नहीं,,, खुद को सब भीष्म पितामह साबित करना चाहते हैं।
ये तो कहिए कि अब वो खीर खा लेने से,वायु के स्पर्श हो जाने से,संतान प्राप्त करने को विज्ञान नहीं मानता, वरना देश में 90% लोग खुद को बाल ब्रह्मचारी घोषित करते हुए अपनी संतान की उत्पत्ति खीर,बर्गर,पिज़्ज़ा,गुलाब जामुन से हुई बता देते।
अपने बच्चों पर तरस रखिए,,,सेक्स एजुकेशन की आवश्कता को समझते हुए सेक्स शिक्षा के लिए खुलकर मैदान में आएं।काम के साथ दर्शन को जोड़ते हुए भावी पीढ़ी का नैतिक पतन होने से बचा लें। हमें खुजराहों जैसी विरासत से सबक लेने की जरूरत है।
चलिए मैं तो नास्तिक सही, पर आप तो पाक साफ आस्तिक हैं आप तो समझ लीजिए कि बिना काम को बाहर पराजित किए आप भीतर के दर्शन और अपने भगवान तक नहीं पहुंच सकते।