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तीसरी बार पालकी यात्रा का स्वरूप बदला
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भगवती शुक्ला,स्टेट ब्यूरो चीफ महाराष्ट्रा : पुणे :तीसरी बार पालकी यात्रा का स्वरूप बदला / 50 लोग तुकाराम महाराज की पालकी लेकर निकले, 1912 में प्लेग और 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कम हुई थी भक्तों की संख्या. जगदगुरु श्री संत तुकाराम महाराज की पालकी का शुक्रवार को देहू से पंढरपुर की ओर प्रस्थान हुआ। हर साल जिस पालकी यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं, कोरोना संक्रमण महामारी की वजह से इस बार इसमें सिर्फ 50 लोगों ही शामिल हुए। लॉकडाउन की वजह से यह पालकी यात्रा प्रतीकात्मक रूप से सिर्फ मंदिर से बाहर निकली और कुछ दूर जाने के बाद इसे वापस मंदिर परिसर में ले जाया गया। शुक्रवार को पालकी समारोह के दौरान मंदिर में महापूजा की गई। उसके बाद इनामदार वाड़े में संत तुकाराम महाराज के पादुकाओं की पूजा की गई। आज की पालकी यात्रा में पूजा मंदिर परिसर में ही हुई और इसमें सिर्फ 50 लोग शामिल हुए। पिछले साल इस पालकी यात्रा में 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। आज की पालकी यात्रा में पूजा मंदिर परिसर में ही हुई और इसमें सिर्फ 50 लोग शामिल हुए। पिछले साल इस पालकी यात्रा में 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। कोरोना संक्रमण काल की वजह से इस बार पंढरपुर में मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा 17 दिन बाद हेलिकॉप्टर से पंढरपुर ले जाई जाएंगी चरण पादुकाएं दैनिक भास्कर Jun 12, 2020, 08:40 PM IST पुणे. जगदगुरु श्री संत तुकाराम महाराज की पालकी का शुक्रवार को देहू से पंढरपुर की ओर प्रस्थान हुआ। हर साल जिस पालकी यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं, कोरोना संक्रमण महामारी की वजह से इस बार इसमें सिर्फ 50 लोगों ही शामिल हुए। लॉकडाउन की वजह से यह पालकी यात्रा प्रतीकात्मक रूप से सिर्फ मंदिर से बाहर निकली और कुछ दूर जाने के बाद इसे वापस मंदिर परिसर में ले जाया गया। शुक्रवार को पालकी समारोह के दौरान मंदिर में महापूजा की गई। उसके बाद इनामदार वाड़े में संत तुकाराम महाराज के पादुकाओं की पूजा की गई। इसी चरण पादुका को हेलीकॉप्टर से लेकर पंढरपुर तक जाया जाएगा। हेलिकॉप्टर से जाएगी चरण पादुका मंदिर प्रशासन की ओर से बताया गया कि यह पालकी 17 दिनों तक देहू स्थित तुकाराम महाराज के मंदिर में ही रहेगी और आखिरी दिन भगवान तुकाराम की चरण पादुका को हेलिकॉप्टर से सीधे पंढरपुर ले जाया जाएगा। इससे पहले यह यात्रा 21 दिनों की होती है और लोग देहु, आलंदी समेत राज्य के कई हिस्सों से पालकी लेकर पैदल चलते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं। पंढरपुर में अषाढ़ एकादशी के दिन भगवान विठ्ठल के दर्शन के साथ ही इस यात्रा का समापन होता है। अंतिम दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी पत्नी के साथ पंढरपुर की पूजा में शामिल होते हैं। अब देखना होगा कि संक्रमण काल में सीएम ठाकरे यहां आते हैं या नहीं? 800 साल में तीसरी बार कम हुई भक्तों की संख्या 800 साल से चली आ रही इस अनूठी पालकी यात्रा में तीसरी बार श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया गया है। इससे पहले साल 1912 में प्लेग के चलते और 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के चलते पंढरपुर में भक्तों की संख्या कम की गई थी। साल 2019 में हुई यात्रा में तकरीबन 5 लाख लोग और 350 डिंडीयां शामिल हुईं थी। पुरानी परंपरा के अनुसार महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालु संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर की पालकी लेकर पंढरपुर आते हैं।

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