पंढरपुर को कहा जाता है दक्षिण का काशी क्यों?
- 151040748 - BHAGWATI DILIP SHUKLA
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भगवती शुक्ला, स्टेट ब्यूरो चीफ- महाराष्ट्रा:-माना जा रहा है कि पिछले तकरीबन ढाई महीने से मंदिर का द्वारा आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है। जी हा
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में भीमा नदी के तट पर महाराष्ट्र का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पंढरपुर स्थित है। पंढरपुर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। पद्मपुराण में वर्णन है कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण ने 'पांडुरंग' रूप में अपने भक्त पुंडलिक को दर्शन दिए और उसके आग्रह पर एक ईंट पर खड़ी मुद्रा में स्थापित हुए थे। हजारों सालों से यहां भगवान पांडुरंग की पूजा चली आ रही है, पांडुरंग को भगवान विट्ठल के नाम से भी जाना जाता है।
पंढरपुर में लगता है बड़ा मेला
पंढरपुर में एक वर्ष में चार बड़े मेले लगते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते इस मेले का आयोजन नहीं होगा। इससे पूर्व के सालों में इस मेले में वारकरी लाखों की संख्या में इकट्ठे होते हैं। चैत्र, आषाढ़, कार्तिक, माघ, इन चार महीनों में शुक्ल एकादशी के दिन पंढरपुर की चार यात्राएं होती हैं। आषाढ़ माह की यात्रा को 'महायात्रा' या 'पालकी यात्रा' कहते हैं। इस में महाराष्ट्र ही नहीं देश के कोने-कोने से लाखों भक्त गाते-झूमते पैदल पंढरपुर आते हैं। संतों की प्रतिमाएं, पादुकाएं पालकियों में सजाकर वारकरी अपने साथ लेकर चलते हैं।
संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी यात्रा जैसी करीब सौ यात्राएं अलग-अलग संतों के जन्म स्थान या समाधि स्थान से प्रारंभ होकर पैदल पंढरपुर पहुंचती है।