(बदायूँ) कोरोना के खौफ का मुनाफाखोर उठाने लगे फायदा, बाजार में उतारे लोकल सैनिटाइजर
- 151052455 - ANKIT KUMAR
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बदायूं। यहां अब तक 80 फीसदी से ज्यादा लोग सैनिटाइजर के बारे में जानते तक नहीं थे, लेकिन अब 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। कोरोना का डर आदमी के दिमाग में इतना बैठा दिया गया है कि तमाम लोग अपनी जेब में सैनिटाइजर लेकर घूम रहे हैं। ऐसे में कोरोना भले ही न सताए, लेकिन इसके डर ने एक ऐसा बाजार तैयार कर दिया है जहां मुनाफाखोर अपनी जेबें भर रहे हैं। कोरोना के खौफ को कुछ लोगों ने ज्यादा मुनाफे का धंधा बना लिया है। दुकानदार सैनिटाइजर और मास्क ब्लैक में बेच रहे हैं, वहीं कुछ धंधेबाजों शहर में ही सैनिटाइजर तैयार करना शुरू कर दिया है। इसकी गुणवत्ता भले ही कुछ भी हो, लेकिन इसकी मार्केटिंग खूब की जा रही है।
सरकार ने कोरोना को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है। जिले में मिले संदिग्धों की निगरानी लगातार की जा रही है। हालांकि यहां अभी तक कोई मरीज कोरोना वायरस का पॉजिटिव नहीं मिला है, लेकिन मुनाफाखोरों ने इसका लाभ उठाने का पूरा इंतजाम कर लिया है। कोरोना का कहर तो समय बीतने के साथ खत्म हो जाएगा, लेकिन तब तक ये मुनाफाखोर अपनी जेबें पूरी तरह भर चुके होंगे।
बदायूं जिले को अभी भी पिछड़े शहरों की श्रेणी में शुमार किया जाता है। देहात क्षेत्र ज्यादा होने के कारण यहां जागरूकता का भी अभाव है। देहात तो छोड़िये यहां पर शहर के भी लगभग 80 प्रतिशत लोग कोरोना वाइरस आने से पहले तक सैनिटाइजर के बारे में नहीं जानते थे। अभिजात्य वर्ग या उच्च मध्यम वर्ग के लोगों के यहां भले ही सैनिटाइजर का प्रयोग होता हो, लेकिन मध्यम श्रेणी के लोग ज्यादा से ज्यादा लिक्विड हैंडवॉश को यूज कर लेते थे। अधिकांश घरों में आज भी हाथ धोने के लिए साबुन का प्रयोग किया जाता है। मगर जब से कोरोना का खौफ दिलों में बैठा और सैनिटाइजर के उपयोग की बात कही जा रही है तब से लोगों ने इसका उपयोग जाना और इसे प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
आजकल की बात करें तो शहर के 60 प्रतिशत से अधिक लोग सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में मुनाफाखोरों ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है। डिटॉल, सेवलॉन, लाइफबॉय जैसे ब्रांडेड कंपनियों के हैंडवॉश तो मानो मेडिकल स्टोर से गायब हो चुके हैं। मगर लोकल सैनिटाइजर की जमकर बिक्री हो रही है। क्योंकि इन पर दुकानदारों को मुनाफा काफी होता है। इसलिए दुकानदार भी इन्हें बेचने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। ब्रांडेड सैनिटाइजर में जहां मार्जिन 10 से 15 प्रतिशत है, वहीं लोकल सैनिटाइजर पर दोगुने और ढाई गुना तक का मुनाफा हो रहा है। इन्हीं का फायदा उठाते हुए शहर के कुछ लोगों ने सैनिटाइजर बनाकर बेचना शुरू कर दिया है। दावा है कि यह सैनिटाइजर कोरोना वायरस से सुरक्षा देगा लेकिन यह दावा कितना सही है और कितना नहीं, यह कहना मुश्किल है।
लोगों में जागरूकता फैलाने के नाम पर की जा रही मार्केटिंग
धंधेबाजों का यही हुनर निराला है कि वे डर को भी अपने धंधे को बढ़ाने में इस्तेमाल कर ही लेते हैं। कोरोना का खौफ इस कदर छाया है कि हर कोई सैनिटाइजर को लेकर गंभीर है। ऐसे में धंधेबाजों ने जागरूकता फैलाने के नाम पर इसकी मार्केटिंग शुरू कर दी है। दस-बीस सैनिटाइजर मुफ्त में बांटकर हजारों की बिक्री करने का बाजार तैयार कर लिया गया है।
50 प्रतिशत अधिक दामों पर बिक रहे ब्रांडेड सैनिटाइजर
कोरोना के खौफ ने सैनिटाइजर का ऐसा बाजार बनाया है कि दुकानों पर ब्रांडेड सैनेटाइजर नजर नहीं आ रहे हैं। दुकानदार ब्रांडेड सैनिटाइजर 50 प्रतिशत तक अधिक दामों पर बेच रहे हैं, जिससे उन्हें छिपाकर रखा गया है। सिंगल यूज वाला 10 से 15 रुपये तक मिलने वाला मास्क जहां 50 रुपये तक का मिल रहा है।
सभी मेडिकल स्टोर मालिकों को केमिस्ट एसोसिएशन के माध्यम से निर्देश दिए गए थे कि सभी मेडिकल स्टोर संचालक सैनिटाइजर और मास्क निर्धारित दर पर ही बेचें। चेकिंग अभियान के दौरान भी मेडिकल स्टोर संचालकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अगर किसी ने निर्धारित दर से अधिक पर इन चीजों को बेचने की कोशिश की, तो उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
- नवनीत कुमार, औषधि निरीक्षक
कोरोना वायरस को लेकर सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लोगों को लगातार जागरूक करते रहे। साथ ही इस बात को विशेष ख्याल रखा जाए कि सैनिटाइजर और मास्क को प्रिंट कीमत से अधिक में न बेचा जाए। अगर कोई बेचता है, तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।
- कुमार प्रशांत, डीएम