सिंथेटिक मेंथा से प्राकृतिक मेंथा तेल की इंडस्ट्री को चुनौती, कारोबार पर संकट छाया
संभल। प्राकृतिक मेंथा तेल के मुकाबले जर्मनी में तैयार होने वाला सिंथेटिक मेंथा आयल कीमत में सस्ता है। कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पादों में सिंथेटिक मेंथा आयल का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे भारत के प्राकृतिक मेंथा तेल कारोबार को झटका लगा है। इंडस्ट्री इस वर्ष पूरी तरह से मंदी का शिकार है। इंडस्ट्रियल जरूरत के मेंथा तेल के उत्पाद तैयार करने के लिए लगीं 75 से अधिक फैक्टरियां धीरे-धीरे संभल में बंद हुई हैं। यही हाल रहा तो और भी मुश्किल आएगी। इससे चिंता में आए मेंथा उद्यमियों ने मंगलवार को आपस में भी संवाद किया।
वर्ष 2000 में संभल में प्राकृतिक मेंथा आयल का कारोबार और खेती बड़े पैमाने पर था लेकिन जब सिंथेटिक मेंथा बाजार में आया तो कारोबार पर असर पड़ा। संभल में वर्ष 2000 में 100 फैक्ट्री होती थीं जो मेंथा तेल को प्रॉसिस करके उत्पाद तैयार करतीं थीं लेकिन अब इनकी संख्या 25 ही रह गई है। मेंथा उत्पादों के निर्यातक आशुतोष रस्तोगी ने बताया कि विश्व में 75,0000 करोड़ रुपये का मेंथा और मेंथा उत्पादों का बिजनेस है। जिसमें 25000 करोड़ रुपये का कारोबार सिंथेटिक मेंथा के उत्पादों ने अपने कब्जे में लिया है।
सिंथेटिक मेंथा की इसी चुनौती से निबटने के लिए मेंथा उद्यमी अभी हाल में बदायूं में जुटे थे। अब संभल में बैठक की गई है। मुख्य रूप से यही बात सामने आ रही है कि अगर हम सचेत न हुए तो मेंथा का कारोबार विदेश में बनने वाले सिंथेटिक मेंथा वाले कब्जा कर लेंगे। क्योंकि सिंथेटिक मेंथा उत्पादों और आयल का भाव प्राकृतिक मेंथा आयल के मुकाबले में कम है। उनसे यदि हमें मुकाबला करना है तो नई तकनीक अपना कर अपनी उत्पादन लागत घटानी होगी और लागत घटाने पर डिमांड का सबसे बड़ा हिस्सा प्राकृतिक मेंथा आयल के खाते में ही जाएगा। वैसे भी प्राकृतिक मेंथा आयल गुणवक्ता में अच्छा होता है।
चुनौती पर विचार विमर्श को जुटे कारोबारी
मेंथा एसोसिएशन से सचिव दीपक गुप्ता ने बताया कि मेंथा एसोसिएशन संभल की बैठक में कारोबार के लिए पैदा हुई सिंथेटिक मेंथा आयल की चुनौती पर विचार विमर्श किया गया है। गोपाल धर्मशाला में आयोजित इस बैठक में अरविंद अरोरा, अशोक गोयल, संजीव भारद्वाज, सुरेंद्र गोयल, उमैर भाई, असजद, सुनील अग्रवाल, पवन गर्ग, आशु, सुमंत अग्रवाल, अनुराग रस्तोगी, आरिल गुप्ता, अंकित गर्ग आदि की भागीदारी रही।
मंडी शुल्क खत्म किया जाए, जीएसटी की दर घटे
संभल। मेंथा एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्ता ने कहा कि मेंथा में जीएसटी 12 प्रतिशत है जबकि वैट 5 प्रतिशत था। इसलिए जीएसटी की दर घटाई जाए। एक प्रतिशत मंडी और आधा प्रतिशत विकास सेस है। इसे भी खत्म किया जाए। इससे मेंथा इंडस्ट्री विदेशी चुनौती का सामना कर सकेगी।