धान बिका नहीं और पराली जलाने का मुकदमा दर्ज हो गया
- 151057375 - DHARAMPAL RAJPUT
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तिलहर/शाहजहांपुर अच्छे दिनों की तलाश में निकले किसानों को इन दिनों धान का सरकारी मूल्य तो नहीं मिल रहा लेकिन मुकदमे का सरकारी कागज जरूर मिल रहा है।
जब पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती आती है।या फिर किसी किसान संगठन का मंच होता है तो खूब जोर लगाकर नेता जी जय किसान जय जवान,किसान देश का अन्नदाता है जैसे लुभावने नारे लगाकर उसे भगवान का दर्जा देते हैं।लेकिन मंच से उतरने के बाद उसी दुर्बल निर्वल किसान के बारे में कुछ भी करने की जरूरत इन भाषणवीर नेताओं को नहीं होती।
सत्र 20019/20 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तमाम सरकारी धान खरीद सेंटर स्थापित किए गए हैं।लेकिन इसके बावजूद अन्नदाता के द्वारा कड़ी मेहनत से तैयार धान को सेंटर प्रभारी खुद को सरकारी मालिक किसानों को दुत्कार खाने वाला समझते हुए खरीदने की तो बात छोड़िए देखने तक को तैयार नहीं है।दूर से ही बाबूजी साहब कह देते हैं कि यहां धान तुलना मुमकिन नहीं है।किसी आढ़त पर जाकर बेच दो जल्दी तुल जाएगा और पैसे भी नगद मिल जाएंगे यहां क्यों पचड़े में खुद भी पड़ोगे और हमें भी डालोगे।
तो वहीं दूसरी तरफ विडंबना देखिए कि किसान अभी अपना धान बेचने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहा है और उसके खेतों के ऊपर से निकल रही विद्युत तारों चिंगारी खेत में गिरने से दुर्घटना बस लग रही आग का दोषी उसे बनाते हुए उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।हालांकि कुछ जगह पर स्वयं भी किसान खेत खाली करने के लिए पराली फूंक रहे है लेकिन अधिकांश में ऐसा नहीं है।
लेकिन धरती के अन्नदाता की निर्वल आवाज कौन सुनेगा वैसे भी अभी तो अन्नदाता को अपना धान बेचने की फिक्र लगी है।क्योंकि जिन से पैसे लेकर खेतों में लागत लगाई थी अब उनके तगादे घुड़कियों में बदलने लगे हैं।सेटिंग इतनी तगड़ी है कि जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भी इन सेंटरों की तरफ जाने से परहेज करते हैं अनजान कारणों के चलते।
लेकिन शासन-प्रशासन को क्या उन्हें तो सिर्फ नियम कायदे बनाना और अपने हिसाब से उनको चलाना ही आता है।