पत्रकारिता को कलंकित करते कथाकथित पत्रकार-आर.एस.राजभर ।
- 151017631 - RAMSURAT RAJBHAR
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पश्चिम बंगाल/आसनसोल : मीडिया आखिर होता क्या है ? मीडिया का काम क्या होता है,इन सबसे परे अब तो कथाकथित पत्रकारों को बस अपनी वाहवाही बटोरने में लगे है । जिस तरह से शिल्पांचल में पत्रकारों की बाढ सी आ गई है उससे आमजनता,अधिकारी के साथ-साथ क्षेत्र के सम्मानित पत्रकारों को भी अब असमंजस में डाल दिया है । इसका मुख्य कारण जो सामने आ रहा है वह है असमाजिकतत्वों का मीडिया में तेजी से प्रवेश वैसे तो इन कथाकथित पत्रकारों का मीडिया से कोई खास लेना देना नहीं होता है इनके पास तावभाव,महंगी कारे,किसी बडे मीडिया हाउस का नाम,2से ज्यादा मीडिया हाउसों का आईडी कार्ड बस क्यां है, यह कहीं भी जाते सामनेवाली टेबल पर बैठे इंसान के सामने अपने आपको ऐसे प्रस्तुत करते है मानों इस क्षेत्र में उनसे बडा कोई पत्रकार नहीं है । ये खबर कवरेज कम किसी बडे अधिकारी, मंत्री,सांसद या समाजसेवी के साथ फोटो खिचाकर बाद में उनसे अच्छे संबंध बताकर क्षेत्र में स्थानीय लोगों व जान पहचान वालों में धौस जमाते है और धन उगाही के फिराक में हमेशा रहते है । कुछ कथाकथित पत्रकार तो किसी अखबार में कार्य करते हुये अपने अन्य साथियों संग मिलकर लोकल केबल,यूट्यूब, फेसबुक, पर स्थानीय न्यूज दिखा कर खुब धन उगाही करने में लगे है कुछ तो अपने आपको खुद वरिष्ठ पत्रकारों की श्रेणी में रख कर क्षेत्र के पूंजीपतियों से तालमेल रखते हुयें खुद 4से 5अखबारों के बैनर में काम करते हुये अन्य पत्रकारों की चापलूसी करते रहते है । पत्रकारों में एक प्रचलन बडी तेजी से उभर कर सामने आ रही है वह है एक दुसरे को निचा दिखाने की, जहां देखों मुंह में गुटखा, बीडी,सिगरेट पी,खाकर पिच-पिच थुकते नजर आ जाते है । शिल्पांचल के पत्रकारों में एक बात प्रचलित है वह एक दुसरे को चापलूस व फिताबाज का आरोप लगाते रहते है दूसरी जो बात सामने आ रही है वह है टेनिया पत्रकारों की जब यह शब्द मेरे कानों मे गई तो मै सोच में पड गया की बंगाल में टेनिया पत्रकार किसे कहा जाता है?.. तब तक हमारे एक पत्रकार भाई से मुलाकात हो ही गई तब उन्होंने कहां की हमारे दादा (पत्रकार भाई) लोग कहते है की अगर टेनिया पत्रकार ही बनकर काम करना है तो किसी बडे बैनर में करों मैने सोचा की आखिर टैनिया पत्रकार क्या होता है? आखिर पत्रकारिता में टैनिया पत्रकारों की क्या भूमिका होती है? फिर मुझे बताया गया की जो लिगल रूप से किसी बैनर में काम नहीं करते सिर्फ बडे पत्रकारों के इसारे पर दिन रात दौडते रहते है उन्हें ही टैनिया पत्रकार कहा जाता है । अब बात फिर वही आती है की कथाकथित पत्रकार आखिर अपने आपको बडा और क्षेत्र के अन्य पत्रकारों को छोटा बताते है ऐसे कथाकथित और फिताबाज पत्रकारों से सावधान रहने की जरुरत है साथ ही साथ प्रशासन को भी ऐसे कथाकथित पत्रकारों के खिलाफ भी कडी कार्यवाही करने की जरुरत है ।
नोट- हमारे इस लेख का उद्देश्य किसी को ठेस पहुचाना नहीं है ब्लकी पत्रकारिता को कलंकित कर रहे कथाकथित पत्रकारों को आईना दिखाना है..