जाने आखिर क्या मान्यता है, गुंडरदेही माता की
छत्तीसगढ़ ब्लॉक मुख्यालय मगरलोड से महज 15 किलोमीटर ग्राम कपालफोडी में पैरी नदी के तट में घने वृक्षों के बीच माता गुंडरदेही विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि माता गुंडरदेही की स्थापना बहुत ही साल पुराना है। ग्राम कपालफोडी के लोग इस माता को कुल देवी के रूप में मानते है। गाँव के हर छोटे बड़े कार्य मे माता रानी को गाँव वाले आमंत्रित करते है और माता रानी सूक्ष्म रूप से विराजमान होती है। गुंडरदेही माता की आशीर्वाद लेने के लिए गाँव के लोग ही नही बल्कि दूर - दूर के लोग भी नारियल, फूल, फल लेकर आते है। और आपको बता दे कि जो भी भक्त इस माता रानी के पास कोई भी मनोकामना सच्चे मन से माँगते है। तो मातारानी उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है। गुंडरदेही माता में पहले लोग अंध विश्वास में आकर कोई भी जीव जैसे कि बकरे की बलि दी जाती थी लेकिन अब लोगो ने अपने सद्बुद्धि का उपयोग करते हुए। बलि प्रथा को बंद करके माता रानी को सिर्फ अब नारियल चढ़ाते है। माँ गुंडरदेही माता रानी के थोड़ी दूर में पैरी नदी के बाजू में बैरागी बाबा है जिनकी स्थापना भी आदिकाल से हुई है। इस नदी की सबसे खास बात आपको बता दे की पैरी नदी में कितना भी बाढ़ क्यो न आये लेकिन बैरागी बाबा का चौराहा कभी भी नही डूबता है। लोगो की ऐसी मान्यता है कि यदि बैरागी बाबा का चौराहा पानी मे डूब जाता है, तो सिर्फ कपालफोडी गाँव ही नही बल्कि आसपास का पूरा गाँव भी पानी मे डूब जायेगा। इसी तरह पैरी नदी के कुछ ही दूर पर माँ शीतला की मन्दिर है जहाँ माता दुर्गा, काली और भैरव बाबा सूक्ष्म रूप में विराजमान है। माता शीतला मन्दिर के सामने धरती को तोड़कर बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग निकला है। जिनका आकार दिनो दिन बढ़ता ही जा रहा है। आपको ये भी बता दे कि लोगो की ऐसी मान्यता है, की जो भी भक्त इस शिवलिंग के सामने बेल पत्र और नारियल चढ़ाकर जो भी मनोकामना मांगते है। सभी की मनोकामना पूरी होती है। इसी के साथ मुझे दीजिये इजाजत और आप बने रहिये फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया के साथ धन्यवाद