कविता के माध्यम से सौरभ ने शहीदों के परिजनों के दुःख को कुछ ऐसा दिखाया आ गए आँखों मे पानी
- 151018288 - LAKSHMAN KUMAR
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ना डरे ना थमें सदा आगे बढ़ते रहे
भारत माता के लिए,हर कष्ट को सहते रहे
अपने तन के दुख को भुलाकर,औरों को सुख देते रहे
परिवार को छोड़कर सेवा वो करते रहे,जब वक्त आ गया तो स्वयं को वो मिटा दिए,
पुलवामां की धरती को स्वर्ग सा बना दिये
ममता का आंचल मिट गया, पत्नी का सुख तो छूट गया
बच्चों को पापा शब्द कहना अब तो छूट गया
पर धन्य है वो मां जिनके कोख से जन्म ले गए
इतिहास के पन्नों पर अपना नाम तो लिख गए
ना कुछ सोचा ना कुछ समझा,खुद को मिटा दिया
पुलवामां की धरती को स्वर्ग सा बना दिये
कदम को बढ़ाते रहे, भले शीश को काटते रहे
भारत मां की आबरु को हर समय बचाते रहे
दुख को भी सुख समझकर, रक्षा वो करते रहे
सब बाधा को सहकर भी भारत की जय-जय करते रहे
अपने इस जन्म को भी अमर वो बना दिए
पुलवामां की धरती को स्वर्ग सा बना दिये
आओ हम भी प्रण ले ले,भारत को सजाते रहे
दुश्मनों की निगाह से हर समय इसे बचाते रहे
अगर रक्त चाहिए तो रक्त भी देते रहे
भारत माता की सेवा,दिल से करते रहे
और याद उनहे पल-पल करें,जो देश की सजा गए
पुलवामां की धरती को स्वर्ग सा बना दिये
सौरभ सरोज पराहित मछलीशहर जौनपुर