बालिका गृहकांड मामला: CM नीतीश से भी हो सकती है पूछताछ, कोर्ट ने CBI को भेजी अर्जी
- 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI
0
पटना, जेएनएन। मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न केस से जुड़े एक मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, समाज कल्याण प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है। अब इस केस से जुड़े एक मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी पूछताछ हो सकती है।
विशेष पॉक्सो कोर्ट ने मामले के आरोपित डॉक्टर अश्विनी की इस अर्जी को देखते हुए कहा है कि आवेदन की काॅपी को सीबीआइ के एसपी पटना को सूचनार्थ भेजा जाए।
इस अर्जी में कहा गया था कि वर्ष 2013 से ही बालिका गृह को नियमित भुगतान किया जाता रहा था। सवाल उठाया गया है कि इसमें बिना मिलीभगत और प्रशासनिक शह के संभव नहीं था। अर्जी में यह भी कहा गया कि रूटीन जांच में बलिकागृह के संचालन के मामले को अधिकारी क्लीन चिट देते रहे हैं।
बालिका गृह कांड में गिरफ्तार डॉक्टर अश्विनी ने अपने वकील सुधीर कुमार ओझा के जरिए कोर्ट में अर्जी दी थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि सीबीआई तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही थी जिसमें मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल कुमार सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका पर जांच होनी थी।
बता दें कि सात फरवरी को इस मामले को मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली विशेष पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था और अगले हफ्ते से मामले की सुनवाई शुरू होने की संभावना है।
डॉक्टर अश्विनी द्वारा दी गई अर्जी पर आज सुनवाई के बाद विशेष पाॅक्सो कोर्ट के प्रभारी न्यायाधीश सह एडीजे-11 मनोज कुमार ने सीबीआइ एसपी के पास अर्जी को अग्रसारित किया है। इधर, आरोपित के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने एक पूरक आवेदन भी कोर्ट में सौंपा है।
कौन है डॉक्टर अश्विनी
डॉक्टर अश्विनी को बालिका गृहकांड मामले का पर्दाफाश होने के बाद पिछले साल नवंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है।
टिस की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, टिस द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित उक्त बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था। मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ने लगा, जिसके बाद 26 जुलाई, 2018 को राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई थी फटकार
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम केस मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। अदालत ने इस मामले की सुनवाई छह महीने के अंदर पूरी करने को भी कहा था। नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ ही केस को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
जस्टिस गोगोई ने कहा था कि अब इस केस की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट स्थित स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में होगी। उन्होंने मामले की सुनवाई रोजाना करने को कहा था। इसके अलावा केस की सुनवाई छह महीने में पूरी कर लेने का आदेश भी दिया गया था।