प्रथम भारत रत्न
- 151043478 - LALIT KUMAR SAHU
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वाराणसी: गोपी राधा प्राइमरी स्कूल & गर्ल्स इण्टर काॅलेज, रवीन्द्रपुरी में शनिवार को काशी के प्रथम भारत रत्न डा. भगवान दास जी की 150वीं जयंती पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान में एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. पुष्कर रंजन जी का विशेष व्याख्यान हुआ। प्रो. पुष्कर रंजन ने अपने प्रपितामह भारत रत्न डाॅ. भगवान दास जी के बारे में कहा कि उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा को सर्वाधिक महत्ववपूर्ण बताया।
डा. भगवान दास जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वे दार्शनिक, शिक्षाविद्, समाज सुधारक, राजनेता और साहित्यधर्मी थे। उन्हें संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी पर समान अधिकार प्राप्त था। प्रो. रंजन ने कहा कि डा. भगवान दास अपने समय के ऐसे व्यक्तित्व थे जिनसे मिलने के लिए लोग देश-विदेश से आया करते थे। उन्होने अनेक रोचक तथ्यों को बताया। उन्होने बताया कि पं0 नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद काशी आये थे। अपने काशी प्रवास के दौरान वो सिगरा स्थित हमारे निवास पर डा भगवान दास जी का आशीर्वाद लेने आये थे। उसी मुलाकात में डा भगवान दास ने नेहरु जी को जनरल करियप्पा को असम का राज्यपाल बनाने की सलाह दी। नेहरु जी काशी से दिल्ली पहुचते ही जनरल करियप्पा को असम का राज्यपाल बनाया।
जब डा0 भगवान दास जी को भारत रत्न देने की घोषणा हुई, उसी वर्ष पं0 नेहरू को भी इस सम्मान हेतु नामित किया गया। इस अवसर पर पं0 नेहरू ने डा0 भगवान दास जी का हाथ पकड़कर बड़े ही आदर के साथ राष्ट्रपति भवन ले गए थे। कहा कि डा भगवान दास जी ने अपने जीवन में 40 किताबें लिखीं।
उन्होंने बताया कि डा. एनी बेसेंट के साथ मिलकर स्थापित किया गया सेंट्रल हिन्दू काॅलेज, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में विलय कर दिया था। इसके पश्चात उन्होंने शिव प्रसाद गुप्त जी के साथ मिलकर काशी विद्यापीठ की स्थापना की और यहां के संस्थापक कुलपति हुए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री समीर कान्त ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की महत्वपूर्ण कड़ी डा. भगवान दास जी थे। उन्होने डा भगवान दास जी के लिए महत्वपूर्ण लोगों द्वारा कही गई बातें बताईं। साथ ही उनसे मिलने आने वालों के बारे में बताया।
कार्यक्रम में डा. भगवान दास जी के वंशजों और विद्यालय परिवार ने उन्हें पुष्पांजलि दी। इस अवसर पर स्कूल की मातृ संस्था के अध्यक्ष श्री विवेक साह ने स्वागत, सचिव/प्रबन्धक श्री मनोज कुमार शाह ने संचालन और निदेशिका डा. शालिनी शाह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में डा. भगवान दास जी से संबंधित चित्रों पुस्तकों और भारत रत्न (पदक और उपाधि) की प्रदर्शनी लगाई थी। इसे देखकर बच्चों के साथ अध्यापक/अध्यापिकाएं भी काशी का प्रथम भारत रत्न देखकर हर्षित और गौरवान्वित हुईं।